दिव्यांगता को पीछे छोड़ लिखी सफलता की गाथा
दून निवासी अभिनव नौटियाल ने जेईई एडवांस्ड में पाई सफलता
देहरादून। खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से पूछे बता तेरी रजा क्या है। अल्लामा इकबाल की इन पंक्तियों के सशक्त प्रमाण हैं दून निवासी अभिनव नौटियाल। जिन्होंने दिव्यांगता को पीछे छोड़ सफलता की गाथा लिखी है। उन्होंने संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) एडवांस्ड में 99 रैंक (पीडब्ल्यूडी) हासिल की है।
मूलरूप से बाबा केदार की धरती रुद्रप्रयाग के चंद्रापुरी निवासी अभिनव शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं, लेकिन तमाम चुनौतियों के बावजूद अभिनव ने दृढ़ इच्छा शक्ति और संकल्प के साथ प्रमुख भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में अध्ययन करने के अपने सपने को साकार किया है। अभिनव के पिता संजय नौटियाल गांव में दुकान चलाते हैं, जबकि मां सीमा नौटियाल गृहणी हैं। उन्होंने बताया कि बहुत से इंजीनियर के बारे में इंटरनेट में देखा और पढ़ा था। गणित विषय में रुचि होने के साथ छोटी उम्र से ही इंजीनियर बनने का सपना देखा था।
परिवार ने भी पूरा साथ दिया। उन्होंने बताया कि रुद्रप्रयाग के ही एक विद्यालय से 12वीं की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने दून के बलूनी क्लासेस से संयुक्त प्रवेश परीक्षा की तैयारी की। वहीं, दून के सहस्त्रधारा रोड के वाणी विहार में रहने वाले अभिनव के दादा मायाराम नौटियाल ने कहा कि अभिनव शुरुआत से ही मेधावी छात्र रहा है। 12 की बोर्ड परीक्षा में भी अभिनव ने 94 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। ऐसे में एक बार फिर देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक को पास कर पोते ने परिवार का नाम रोशन किया है।