Uttarakhand

हमारी लोक संस्कृति एवं परंपरा देवभूमि की पहचान- मुख्यमंत्री धामी 

मुख्यमंत्री धामी ने प्रदेशवासियों को इगास पर्व की दीं शुभकामनाएं 

बदरीनाथ धाम के परिक्रमा स्थल में जलाए जाएंगे 101 दीये 

हरिद्वार। पिछले कुछ वर्षों में काफी लोकप्रिय हो गए लोक पर्व इगास (बूढ़ी दिवाली) को लेकर पूरे उत्तराखंड में उत्साह है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को इगास पर्व की शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेशवासियों से अपनी लोक संस्कृति एवं लोक परंपराओं को आगे बढ़ाने में सहयोगी बनने की अपील की। उन्होंने प्रवासी उत्तराखंडियों का अपने पैतृक गांवों में इगास मनाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि हमारी लोक संस्कृति एवं परंपरा देवभूमि की पहचान है। किसी भी राज्य की लोक संस्कृति एवं लोक परंपरा उस राज्य की आत्मा होती है, इसमें इगास का पर्व भी शामिल है। हमारे लोक पर्व एवं समृद्ध सांस्कृतिक विरासत सामाजिक जीवन में जीवंतता प्रदान करने का कार्य करते हैं। जिस तरह से संपूर्ण देश में सांस्कृतिक विरासत और गौरव की पुनर्स्थापना हो रही है, उसी तरह उत्तराखंडवासी अपने लोकपर्व इगास को आज बडे़ उत्साह से मना रहे हैं।

आजादी के अमृत काल में पंच प्रण के संकल्पों में से एक संकल्प यह है कि हम अपनी विरासत और संस्कृति पर गर्व करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे लोग इगास पर्व पर अपनी परंपराओं के साथ अपने पैतृक गांवों से भी जुड़ सकें इसके लिये राज्य में इगास पर्व पर सार्वजनिक अवकाश की परंपरा शुरू की गई है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों की सुख-शांति एवं समृद्धि की भी कामना की है।

बदरीनाथ धाम में देवउठनी एकादशी पर्व को लेकर पूजा-अर्चना की विशेष तैयारियां चल रही हैं। मंगलवार को शाम सात बजे बदरीनाथ धाम के परिक्रमा स्थल में 101 दीये जलाए जाएंगे। साथ ही श्रद्धालुओं की ओर से भी धाम परिसर में अन्य दीये जलाए जाएंगे। बदरीनाथ धाम के पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि दीपावली पर्व के साथ ही एकादशी पर्व पर बदरीनाथ धाम में विशेष पूजा की जाती हैं। धाम के परिक्रमा स्थल में 101 दीये जलाए जाएंगे। सोमवार को 11369 तीर्थयात्रियों ने बदरीनाथ धाम के दर्शन किए। अभी तक 13,71,222 तीर्थयात्री भगवान बदरीनाथ के दर्शन कर चुके हैं। बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा अब अंतिम चरण में है। धाम में श्रद्धालुओं की चहल-पहल बनीं हुई है।

 

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